आई घर के आंगन में,
कुछ बोला उसने
पर सुना न किसी ने
उस वक़्त,
चु चु करके
घर आगंन में, छतो पर, पेड़ो पर
आई हर बार
पर सुना न किसी ने
फुदकते फुदकते
अपने छोटे छोटे पैरो से
मन मोह लेती थी सबका
एक छोटी गोरैया
पर उस वक़्त सुना न किसी ने।।
कुछ बोला उसने
पर सुना न किसी ने
उस वक़्त,
चु चु करके
घर आगंन में, छतो पर, पेड़ो पर
आई हर बार
पर सुना न किसी ने
फुदकते फुदकते
अपने छोटे छोटे पैरो से
मन मोह लेती थी सबका
एक छोटी गोरैया
पर उस वक़्त सुना न किसी ने।।
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