एक मुस्कान उस चेहरे पर भी आने दो,
वक़्त के साथ उन्हें भी खेलने दो,
दो उसे मुकाम एक,छू लेगी वो भी आसमानो को,
पर उसे खिलने का मौका तो दो
मार दिया हमने उसे,उसके पनपने से पहले,
क्या रीती रिवाज?क्या भेदभाव?
समय के साथ थोड़ा उन्हें भी बदलने दो,
खुद को न बदल पाओ तो अपने ख्यालात बदल दो,
पर एक मुस्कान उस चेहरे पर भी आने दो।
सोचा है कभी तुमने, अगर न लेने दोगे जन्म इन्हें,
तो कौन कहेगा कहानियां प्यारी?
तो कौन कहेगा लोरियां सारी?
किनको कहोगो दादी नानी?
किसको,किसको तुम 'माँ' कहोगे?
अब बस ! रोक लो खुद को
आने दो एक मुस्कान उस चेहरे पर भी, आने दो
आने के बाद भी मत करो ऐसा काम
कि खुद से निच कहाओ।
कोई एक आता हे, सिखाता हे, समझाता हे
पर, पर फिर भी तुम वही बन जाते हो
जो तुम पहले थे।
एक तरफ उनकी करते हो पूजा,आराधना,
फिर भी उन्ही से खेलवाड़ करते हो।
एक मुस्कान उस चेहरे पर भी आने दो।
वक़्त के साथ उन्हें भी खेलने दो,
दो उसे मुकाम एक,छू लेगी वो भी आसमानो को,
पर उसे खिलने का मौका तो दो
मार दिया हमने उसे,उसके पनपने से पहले,
क्या रीती रिवाज?क्या भेदभाव?
समय के साथ थोड़ा उन्हें भी बदलने दो,
खुद को न बदल पाओ तो अपने ख्यालात बदल दो,
पर एक मुस्कान उस चेहरे पर भी आने दो।
सोचा है कभी तुमने, अगर न लेने दोगे जन्म इन्हें,
तो कौन कहेगा कहानियां प्यारी?
तो कौन कहेगा लोरियां सारी?
किनको कहोगो दादी नानी?
किसको,किसको तुम 'माँ' कहोगे?
अब बस ! रोक लो खुद को
आने दो एक मुस्कान उस चेहरे पर भी, आने दो
आने के बाद भी मत करो ऐसा काम
कि खुद से निच कहाओ।
कोई एक आता हे, सिखाता हे, समझाता हे
पर, पर फिर भी तुम वही बन जाते हो
जो तुम पहले थे।
एक तरफ उनकी करते हो पूजा,आराधना,
फिर भी उन्ही से खेलवाड़ करते हो।
एक मुस्कान उस चेहरे पर भी आने दो।
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